In Depth स्टोरी, फिंगरप्रिंट स्कैनर किस तरह करता है काम, जानें इससे जुड़ी सभी डिटेल्स
In Depth स्टोरी, फिंगरप्रिंट स्कैनर किस तरह करता है काम, जानें इससे जुड़ी सभी डिटेल्स
फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल न सिर्फ फोन में बल्कि आपके लैपटॉप, और आपके जरुरी पेपर में भी आपके फिंगरप्रिंट लिए जाते है
नई दिल्ली(जेएनएन)। मार्किट में अब ज्यादातर स्मार्टफोन्स फिंगरप्रिंट स्कैनर के साथ लॉन्च होने लगे हैं।स्मार्टफोन के खास फीचर्स में फिंगरप्रिंट सेंसर भी है जिसकी यूजर्स में काफी डिमांड देखी गई है। स्मार्टफोन में लगे फिंगरप्रिंट सेंसर को आप अपने फोन अनलॉक करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। फिंगरप्रिंट सेंसर आपके फोन को सिक्योर रखता है ताकि आपका फोन कोई और अनलॉक न कर सके। इसके अलावा फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल न सिर्फ फोन में बल्कि आपके लैपटॉप और आपके जरुरी डॉक्यूमेंट्स में भी आपके फिंगरप्रिंट लिए जाते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि आपके फोन का फिंगरप्रिंट सेंसर कैसे काम करता है? तो आइये जानते हैं...
क्या है फिंगरप्रिंट सेंसर?
साधारण शब्द में, हम इसे एक ऐसे सिस्टम के रूप में बता सकते हैं जो आपकी उंगली की सतह को स्कैन करता है जो उन्हें एक कोड में बदल देता है जिसे डाटाबेस के विरुद्ध सत्यापित करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। यदि आप सावधानीपूर्वक पालन करते हैं, तो आपको यह पता चल जाएगा कि एक सुरक्षा प्रणाली में विभिन्न प्रकार के फिंगरप्रिंट स्कैनर का उपयोग किया जाता है। आइये देखते हैं कि वे क्या हैं?
ऑप्टिकल स्कैनर
ऑप्टिकल स्कैनर आपके फिंगरप्रिंट के ऊपर एक ब्राइट कलर डालता है जो आपके फिंगरप्रिंट की डिजिटल फोटो कैप्चर करता है। इसके बाद यह डिजिटल फोटो आगे के वेरिफिकेशन के लिए कंप्यूटर में फीड किया जाता है। यह हल्के-संवेदनशील माइक्रोचिप जैसे CCD, चार्ज-कपल डिवाइस या CMOS इमेज सेंसर डिजिटल फोटो बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह इमेज अपने आप आपके फिंगरप्रिंट को कोड में बदलता है।
कैपेसिटिव स्कैनर
कैपेसिटिव स्कैनर आपकी फिंगर को इलेक्ट्रिकली रूप से मापकर काम करता है। क्योंकि आपके हाथ के प्रत्येक उंगलियों के बीच में दूरी होती है, कैपेसिटिव स्कैनर इन्हीं दूरियों को कैलक्यूलेट कर आपके फिंगरप्रिंट की एक इमेज बनाता है। इस तरह के स्कैनर आईफोन और आईपैड में दिए टचस्क्रीन के समरूप हैं। हम आपको बताएंगे कि यह प्रक्रिया कैसे पूरी होती है, जब आप अपने फिंगर को स्कैनर में डालते हैं। तो आइये जानते हैं...
सबसे पहले, स्कैनर डिवाइस में जहां आप उंगली रखते हैं वह एक ब्राइट लाइट जलती है। ग्लास के जरिये ये लाइट आपकी उंगली को छू कर वापस CCD या CMOS इमेज सेंसर पर रिफ्लेक्ट करती है। अगर इमेज कैप्चर प्रोसेस में ज्यादा समय लगता है तो इमेज सेंसर पर इमेज ब्राइट होगी। इस टेस्टिंग के लिए एक एल्गोरिथ्म का उपयोग किया जाता है। यह आपको बताता है कि कैप्चर किया गया इमेज बहुत हल्का है या गहरा। जिसके बाद एक बीप की आवाज आती है जो आपको अलर्ट करता है और फिर से आपको पहले प्रोसेस पर वापस ले जाता है।
ये डिवाइस आपको तब भी अलर्ट करता है जब कैप्चर किए गए इमेज में कोई ऑल्टरनेटिव लाइट और पर्याप्त लाइट न हो। इन टेस्ट्स के बाद, बीपिंग के जरिए स्कैनर आपको बताता है कि इमेज सही है या दूसरे LED इंडिकेटर का इस्तेमाल करना है। अब एक्सेप्ट की गई इमेज फ्लैश मैमोरी में सेव हो जाती है। जो फिर अगले चरण के लिए एक कंप्यूटर में प्रेषित किया जाता है। अब यह कम्प्यूटर का काम होगा कि इमेज को डाटाबेस में सेव रखना है या डाटाबेस में पहले से सेव फिंगरप्रिंट से कम्पेयर करना है। आमतौर पर इमेज की साइज 512×512 पिक्सेल होती है। जबकि स्टैण्डर्ड इमेज 2.5cm (1 इंच) वर्ग होती है।
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